Sunday, November 10th, 2024

इस सप्ताह के व्रत और त्यौहार जानें

अक्टूबर मास का पहला सप्ताह व्रत त्योहारों की कामना से बेहद खराब माना जा रहा है। इस सप्ताह सर्व पितृ राष्ट्रों को पितृ पक्ष का समापन हो रहा है और फिर शारदीय राष्ट्र का आरंभ भी हो रहा है। इनके साथ ही मासिक शिवरात्रि व्रत, चतुर्दशी तिथि का श्राद्ध व तर्पण, गणेश चतुर्थी व्रत आदि कई प्रमुख व्रत त्योहार भी जायेंगे। इसके अलावा इस सप्ताह कृष्ण पक्ष का समापन हो रहा है और शुक्ल पक्ष भी प्रारंभ हो रहा है। व्रत त्योहार के साथ इस सप्ताह शुक्र ग्रह विशाखा नक्षत्रों में गोचर करने वाले हैं तो बुध ग्रह विशाखा नक्षत्रों में गोचर करने वाले हैं। आइए जानते हैं अक्टूबर मास के पहले सप्ताह के प्रमुख व्रत त्योहारों के बारे में... मासिक शिवरात्रि व्रत (30 सितंबर, सोमवार) हिंदू पंचांग के आधार पर आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि के दिन और चतुर्दशी के संयोग में मासिक शिवरात्रि व्रत रखा जाता है। धार्मिक ईसाईयों के अनुसार, मासिक शिवरात्रि का व्रत स्वीकृत रूप से भगवान शिव और माता पार्वती करने से जीवन के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं और पापों से भी मुक्ति मिलती है। संयोग से, इस दिन त्रयोदशी तिथि में मृत्यु प्राप्त लोगों के निमित्त श्राद्ध एवं तर्पण किया जाएगा।

चतुर्दशी श्राद्ध व तर्पण (1 अक्टूबर, मंगलवार) जिस व्यक्ति की चतुर्दशी तिथि को मृत्यु हुई है, उनका निमित्त इस दिन श्राद्ध व तर्पण किया जाएगा। चतुर्दशी तिथि को उन लोगों का ही श्राद्ध कर्म और तर्पण किया जाता है, जिस प्रकार मृत्यु हिंसा या अधर्म में हुई हो यानी किसी सर्पदंश, मृत्यु या आत्महत्या के दौरान मृत्यु हुई हो। चतुर्दशी तिथि के श्राद्ध करने से पितरों की मृत्यु होती है और उनकी आत्मा को भी शांति मिलती है।

सर्व पितृ पितृ विसर्जन (2 अक्टूबर, बुधवार) आश्विन कृष्ण पक्ष की अस्थि का सर्व पितृ विसर्जन होता है। इस दिन ब्राह्मणों को भोजन दानादि से पितृ तृप्त होते हैं। इस दिन की विधि-अबोध श्राद्ध एवं तर्पण करना चाहिए। इस दिन पितृ विसर्जन के समय अपने वंशजों को आशीर्वाद देने जाते हैं। जिस किसी को अपने पितर की मृत्यु की तिथि पता हो या श्राद्ध पर तिथि न मिले, वे लोग इस दिन श्राद्ध कर सकते हैं। इस दिन सूर्य ग्रहण भी लग रहा है। हालाँकि यह ग्रहण भारत में दिखाई नहीं देगा, इसलिए इस ग्रहण का प्रभाव आपके देश में नहीं होगा।

शरदीय रात्रि प्रारंभ (3 अक्टूबर, गुरुवार) आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से शरदीय रात्रि प्रारंभ हो रहे हैं। नवरात्र निमित्त कलश स्थापना का पूरा दिन उत्सव मनाया जाता है। नवरात्रि के नौ दिनों में पूरे परिवार में मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा की जाती है और पहले दिन शैलपुत्री माता की पूजा की जाती है। नवरात्रि का व्रत करने से जीवन के सभी संकट दूर हो जाते हैं और घर में सुख-शांति और समृद्धि भी आती है। इस दिन महाराजा अग्रसेन की जयंती भी है।

गणेश चतुर्थी व्रत (6 अक्टूबर, रविवार) हिंदू पंचांग के आधार पर आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को श्री गणेश चतुर्थी व्रत किया जाता है। गणेश चतुर्थी का व्रत करने से सुख-समृद्धि और आर्थिक समृद्धि की प्राप्ति होती है और जीवन में चल रहे सभी विघ्न भी दूर हो जाते हैं। इस व्रत को करने से कुंडली में बुध ग्रह की स्थिति भी मजबूत होती है। इस दिन ही मां भगवती के चौथे स्वरूप कुष्मांडा देवी की पूजा भी की जाएगी।

Source : Agency

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